Hindi shayari new 2022
" SURAT" PART:2
"पिछे रह जाएगा वो दुनिया की इस रफ्तार में, वो हुनर किस काम का जो बिकता नहीं बाजार में"
-सूरत
"उस हुनर का क्या फायदा जो आपको इस दुनिया की दौड़ में पीछे कर देता है" "क्या फायदा जब बाजार में बिकता ही नहीं"
"Piche Reh Jaega Wo Duniya Ki Is Raftaar Mein, Wo Hunar Kis Kaam Ka Jo Bikta Nahi Baazar Mein"
-surat
"What Is The Use Of The Talent That Makes You Lag Behind In The Race Of This World" "What Is The Use When In The Market It Doesn't Get Sold"
"Shayad Reh Gyi Koi Kami Ishq Ke Tehriir Mein Mere Jane Kya Likha Ab Kitaab E Taqdiir Mein Mere Surat Nahi Aur Tadbiir Bhi Koi Ab Basta E Fitraak Mein Mere, Ab Dekhna Hai Ki Vasl Ya Judaayi Milti Hai Mujhe Aazmaaish E Taqdiir Mein Mere"
"शायद रह गई कोई कमी इश्क की तहरीर में
मेरी जाने क्या लिखा अब किताब ए तकदीर में मेरी सूरत नहीं और तदबीर भी कोई अब बस्ता ए फितराक में मेरे, अब देखना है की वस्ल या जुदाई मिलती है मुझे आजमाइश ए तकदीर में मेरी"
"Hai Tumse Ik Sarokaar, Bismil E Naaz Ki Raftaar Thodi Kam Kar Do Surat Uquubat Badi Teri "Doori !" Ki Saza Mein, Hu Main Sazavaar Toh Meri Saza Thodi Kam Kar Do, Itna Kiya Intezaar, Ik Din Dil Bola "Yaar" Sokhta E Hasrat E Diidaar Thodi Kam Kar Do"
"है तुमसे इक सरोकार, बिस्मिल ए नाज़ की रफ़्तार थोड़ी कम कर दो सूरत उकूबत बड़ी तेरी "दूरी!" की सजा में, हु मैं सज़ावर तो मेरी सज़ा थोड़ी कम कर दो, इतना किया इंतज़ार, इक दिन दिल बोला "यार" सोखता ए हसरत ए दीदार थोड़ी कम कर दो"
"Hoke Furqat Apne Ishq Se Mardum E Gam Diida Baitha Hai Fir Koi, Ishq Nibhane Ke Liye Darvaaza E Uftaada Pe Khada Hai Fir Koi, Shaahid E Maanii Ishq Ka Dekho Janta Hai Fir Koi, Baagh Bayaban Hua Hai Fir Koi Surat Lagta Hai Misl E Dahan E Nang Lega Aashiq Fir Koi"
"होके फुरकत अपने इश्क से मर्दम ए गम दीदा बैठा है फिर कोई, इश्क निभाने के लिए दरवाजा ए उफतदा पे खड़ा है फिर कोई, शाहिद ए मानि इश्क का देखो जानता है फिर कोई, बाग बयाबां हुआ है फिर कोई सूरत लगता है मिस्ल ए दहन ए नंग लेगा आशिक फिर कोई "
"Sham E Sozaan
Ho Tum Meri Surat Mujhe Raasta Dikhati Jao"
Sham E Sozaan = The Burning
Lamp
"शाम ए सूज़ान
हो तुम मेरी सूरत मुझे रास्ता दिखाती जाओ"
शाम ए सूज़ान = दीपक
"Likhte Hai Log Qaza Hai Ishq, Koi Chaaragar Nhi Karta Ilaaj Iska, Dard E Be Dava Hai Ishq, Dushman Ashna Numaa Hai Ishq, Bhagte Hai Isse Jaise Koi Vaba Hai Ishq Surat
Ho Jata Hu Majnuun E Vahsat Aaraa Aise Logo Se, Kyunki Mere Liye Toh Ishwar Ki Qubool Dua Hai Ishq, Sach Kahu Toh Jine Ki Haseen Wajah Hai Ishq Jha Milta Hai Dil Ko Sukoon Mere Liye Wo Jagah Hai Ishq"
"लिखते है लोग क़ज़ा है इश्क, कोई चारागर नहीं करता इलाज इसका, दर्द ए बे दवा है इश्क, दुश्मन आशना नुमा है इश्क, भागते है इससे जैसे कोई वाबा है इश्क सूरत हो जाता हूं मजनूं ए वहशत आरा ऐसे लोगो से, क्योंकि मेरे लिए तो ईश्वर की कुबूल दुआ है इश्क, सच कहु तो जीने की हसीन वजह है इश्क जहाँ मिलता है दिल को सुकून मेरे लिए वो जगह है इश्क"
"Keh Du Ke Is Jaagte Baatin Mein Meri Koi Imkaan Hai, Keh Du Ke Aashiqui Sach Mein Hi Aasan Hai, Surat Keh Du Ke Tujhko Ye Batane Ke Liye Meri Aawaz E Faraavaan Hai, Keh Du Ke Tujhe Dekhna Hi Mere Liye Mafhum E Faraavaan Hai, Keh Du Ki Tu Mera Dabistaan Hai, Keh Du Ke Tere Samne Ye Sare Nazaare Sarmaaya E Arzaan Hai"
"कह दू के इस जागती बातिन में मेरी कोई इम्कान है, केह दू के आशिकी सच में ही आसान है, सूरत कह दू के तुझको ये बताने के लिए मेरी आवाज ए फारावां है, कह दू के तुझे देखना ही मेरे लिए महफूम ए फारावां है कह दू की तू मेरा दबिस्तान है, कह दू के तेरे सामने ये सारे नजारे सरमाया ए अरज़ान है "
"Hum Toh Tumhe Dil Dene Aaye The, Surat Tumne Toh Jaan Ko Hi Maang Liya, Aur Bhi Bahut Kuch Tha Zamane Mein Mangne Ko, Fir Kyun Humse Humara Ilhaam Maang Liya, Tere Lafzo Ko Sunne Ka Daavedaar Tha Main, Tumne Toh Humse Wo Armaan Bhi Maang Liya
Shukriya"
"हम तो तुम्हें दिल देने आए थे, सूरत तुमने तो जान को ही मांग लिया, और भी बहुत कुछ था जमाने में मांगने को, फिर क्यों हमसे हमारा इल्हाम मांग लिया, तेरे लफ्जो को सुनने का दावेदार था मैं, तुमने तो हमसे वो अरमान भी मांग लिया
शुक्रिया "
"Iqliim E Ulfat, Ke Divar E Dabistaan Pe Tumhara Naam Likha Hai, Surat Aur Hum Abhi Bhi Tashviish E Marham Ka Sochte Hai, Zamane Mein Aashiq Aise Bhi Parvaaz E Shauq E Naaz Sochte Hai, Majnuun Hai Wo Ye Kya Sochte Hai,Khayal Aata Hai De Du Tumko Ishq Apna Fir Tumhe Be Sabar O Faiz E Ishq E Mustagnii Sochte Hai"
"इकलीम ए उल्फत, के दिवार ए दबिस्तान पे तुम्हारा नाम लिखा है, सूरत और हम अभी भी तशविश ए मरहम का सोचते हैं, जमाने में आशिक ऐसे भी परवाज ए शौक ए नाज सोचते हैं, मजनूं है वो ये क्या सोचते है, खयाल आता है दे दू तुमको इश्क अपना फिर तुम्हे बे सबर ओ फैज ए इश्क ए मुस्तगनी सोचते हैं "
"Tere Hi Farozan Se Raushan Ki Hai Zindagi
Surat Tu Dikhe Na Toh Andhere Mein Lagti Hai Zindagi "
Farozan -shine
"तेरे ही फेरोज़ान से रौशन की है ज़िन्दगी
सूरत तू दिखे न तो अँधेरे में लगती है ज़िन्दगी "
फेरोज़ान -चमक
"Manzil Ki Taraf Kadam Ko Badhana Toh Hoga, Jafa Dekh Kar Awaaz Ko Uthana Toh Hoga, Surat Fir Raste Mein Tum Milo Ya Gham E Hayaat, Deen E Ilahi Ka Sadqa Nibhana Toh Hoga, Janta Hu Ishq Ka Rasta Mushkil Bahut, Par Kisi Na Kisi Ko Toh Is Mishaal E Jaan Ko Jalana Toh Hoga, Koi Ho Bhale Paara E Dil, Waqt Pe Use Bhul Jana Toh Hoga"
"मंजिल की तरफ कदम को बढ़ाना तो होगा, जाफा देख कर आवाज को उठाना तो होगा, सूरत फिर रास्ते में तुम मिलो या गम ए हयात, दीन ए इलाही का सदका निभाना तो होगा, जानता हु इश्क का रास्ता मुश्किल बहुत, पर किसी न किसी को तो इस मिशाल ए जान को जलाना तो होगा, कोई हो भले पारा ए दिल ,वक़्त पे उसे भूल जाना तो होगा "
"Teri Aankhein Koi Rahzan Ho Jaise, Surat Jabse Dekha Hai Inme Mera Chain Loot Gya Hai"
Rahzan = Robber
"तेरी आंखें कोई रहजान हो जैसे, सूरत जबसे देखा है इनमें मेरा चेन लुट गया है"
रहज़ान = डाकू
🖋ASHUTOSH MISHRA
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1 Comments
Very nice blog
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